ED ने Myntra पर ₹1,654 करोड़ के FDI उल्लंघन का केस दर्ज किया

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फ्लिपकार्ट समर्थित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मिंत्रा और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का केस दर्ज किया है। ED का आरोप है कि मिंत्रा ने ₹1,654 करोड़ से अधिक के विदेशी निवेश (FDI) नियमों का उल्लंघन करते हुए मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग (MBRT) की, जबकि उसे केवल व्होलसेल कैश एंड कैरी बिजनेस करने की अनुमति थी।
क्या है पूरा मामला?
ED को शिकायत मिली कि मिंत्रा डिज़ाइन्स प्राइवेट लिमिटेड (Myntra) और उसकी सहयोगी कंपनियां व्होलसेल का झूठा दिखावा करके रिटेल बिजनेस चला रही थीं।
जांच में पता चला कि मिंत्रा ने विदेशी निवेशकों से ₹1,654 करोड़ का फंड व्होलसेल बिजनेस के नाम पर जुटाया, लेकिन असल में उसने सारा माल अपनी ही ग्रुप कंपनी वेक्टर ई-कॉमर्स को बेच दिया, जिसने इसे सीधे ग्राहकों को रिटेल में बेचा।
FDI नियमों के मुताबिक, एक व्होलसेल कंपनी अपने ही ग्रुप की किसी दूसरी कंपनी को 25% से ज्यादा सामान नहीं बेच सकती। लेकिन मिंत्रा ने 100% सामान वेक्टर को बेचा, जो कानून का सीधा उल्लंघन है।
कैसे हुआ नियमों का उल्लंघन?
B2B का झूठा दिखावा: मिंत्रा ने वेक्टर को माल बेचकर बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) ट्रांजैक्शन दिखाया।
B2C में बेचा गया सामान: वेक्टर ने वही सामान सीधे ग्राहकों को बिजनेस-टू-कस्टमर (B2C) मोड में बेचा, जो मल्टी-ब्रांड रिटेलिंग है।
FDI पॉलिसी का उल्लंघन: भारत में मल्टी-ब्रांड रिटेल में FDI की अनुमति नहीं थी (उस समय), इसलिए मिंत्रा ने व्होलसेल का रास्ता अपनाया।
ED ने क्या कार्रवाई की?
FEMA की धारा 16(3) के तहत केस दर्ज किया गया है।
मिंत्रा, वेक्टर ई-कॉमर्स और उनके निदेशकों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई है।
ED ने अधिनिर्णयन प्राधिकार (Adjudicating Authority) के सामने शिकायत दायर की है।